कली बेंच देगें चमन बेंच देगें, धरा बेंच देगें गगन बेंच देगें, कलम के पुजारी अगर सो गये तो ये धन के पुजारी वतन बेंच देगें। हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . नीचे लिंक दिए गये हैं . http://www.janokti.com/ , साथ हीं जनोक्ति द्वारा संचालित एग्रीगेटर " ब्लॉग समाचार " से भी अपने ब्लॉग को अवश्य जोड़ें .
कली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
जवाब देंहटाएंधरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
कलम के पुजारी अगर सो गये तो
ये धन के पुजारी
वतन बेंच देगें।
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . नीचे लिंक दिए गये हैं . http://www.janokti.com/ , साथ हीं जनोक्ति द्वारा संचालित एग्रीगेटर " ब्लॉग समाचार " से भी अपने ब्लॉग को अवश्य जोड़ें .
Swagat hai!
जवाब देंहटाएंAnek shubhkamnayen!
जवाब देंहटाएंbahut achhi suruat...subhkamnaye.
जवाब देंहटाएंsankar-shah.blogspot.com
ब्लाग जगत में आपका स्वागत है!
जवाब देंहटाएंइस नए चिट्ठे के साथ आपको हिंदी चिट्ठा जगत में आपको देखकर खुशी हुई .. सफलता के लिए बहुत शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंthanks a lot....
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